उत्तराखंड, पिथौरागढ़, उत्तराखंड की माटी में अनेक जांवाज़ों का जन्म हुआ. अपनी शूर वीरता से इन जांवाज़ों ने इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाया. उत्तराखंड वो सरज़मीं है, जहां से हर साल सरहदों की हिफाज़त के लिए सैकड़ों नौजवान कुंमाऊ, गढ़वाल और गोरखा रेजिमेंट का हिस्सा बनते हैं. तो वहीं फौज के अलावा बीएसएफ, आईटीबीपी और सीआरपीएफ में भी भर्ती होकर उत्तराखंड के लाल राज्य की आन-बान और शान के साथ देश की रक्षा पर मर मिटने के लिए कसमें खाते हैं. इन्हीं शूर वीरों को हौसला अफज़ाही और इनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए इन्हें तमाम वीरता मेडलों से हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर सम्मानित किया जाता है.

एक ऐसे ही शूर वीर जांवाज़ अफसर हैं पिथौरागढ़ ज़िले के सीमांत क्षेत्र धारचूला से. नाम है किशन सिंह दुगतल. किशन सिंह वर्तमान में देश की राजधानी दिल्ली में डेप्युटेशन पर एसपीजी में एआईजी यानि असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल के पद पर तैनात हैं. लेकिन मूलत: वो सीआरपीएफ में कमांडेंट हैं. एसपीजी यानि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप में एआईजी के पद पर रहते हुए किशन सिंह ने उत्तराखंड की माटी का ना सिर्फ मान बढ़ाया ,बल्कि वो राज्य के नौजवानों के लिए प्रेरणा के स्रोत भी बन गये हैं. एसपीजी अफसर वही जावाज़ हैं, जिन्हें आप पीएम मोदी के आस-पास सुरक्षा घेरा बनाए देखते हैं.

दरअसल बीती 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस पर उत्तराखंड के इस वीर सपूत को देश के प्रथम व्यक्ति यानि महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के हाथों सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ. एपीजी एआईजी किशन सिंह को पुलिस मेडल से नवाज़ा गया है. यानि धारचूला के रहने वाले इस वीर फौलादी के सीने पर उनकी उत्कृट सेवाओं के लिए ये पुलिस मेडल सजा. उत्तराखंड की माटी में जन्में ऑफीसर किशन सिंह को मिलाकर 5 और अधिकारियों पुलिस मैडल पाने का गौरव हासिल हुआ.

करियर –
पिथौरागढ़ के सीमांत इलाके धारचूला के रहने वाले किशन सिंह देश की हिफाज़त के लिए साल 1999 अप्रैल में CRPF में असिटेंट कमांडेंट के पद पर भर्ती हुए थे. जिसके बाद उन्होंने देश के कई राज्यों में अपनी सेवाएं दी. जिनमें से जम्मू-काशमीर, त्रिपुरा, झारखंड, वेस्ट बंगाल, और अब दल्ली में तैनाती. सीआरपीएफ के कमांडेंट किशन सिंह वर्तमान में डेप्युटेशन पर एसपीजी में एआईजी के पद पर देश की राजधानी में तैनात हैं.

शिक्षा-दीक्षा-
अपनी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति के हाथों पुलिस मेडल पाने वाले एसपीजी एआईजी किशन सिंह की प्रारंभिक शिक्षा धारचूला की विषम परिस्थियों में ही हुई. ऑफीसर किशन सिंह ने धारचूला से 12वीं तक पढ़ाई की. इसके बाद वो आगे की शिक्षा के लिए इलाहाबाद यानि आज का प्रयाग राज चले गये. जहां से उन्होंने सन 1996 में बीए और फिर 1998 में आर्टस में मास्टर डिग्री हासिल की. और फिर अपनी बौद्धिक क्षमता के चलते साल 1999 में ही वो सीआरपीएफ की असिटेंट कमांडेंट परीक्षा को उत्तीर्ण कर सीआरपीएफ में अधिकारी बन गये.
परिवार –

बिषम परिस्थियों में कुछ कर गुज़रने वाले ऑफिसर किशन सिंह की इस सफलता के पीछे न सिर्फ उनकी कड़ी मेहनत थी, बल्कि इस सफलता में सबसे बड़ा योगदान उनके परिवार का भी था. उनके हौसलों को पंख देने वाले उनके माता पिता के साथ उनके दोनों भाई बहिनें भी शामिल रहीं. ऑफिसर किशन सिंह की मां एक गृहणी हैं जो आज भी धारचूला में ही रहती हैं. उनके भाई डॉ. बीएस दुगतल भी धारचूला में ही रहकर क्लीनिक चला रहे हैं तो वहीं दूसरे भाई ईश्वर सिंह दुगतल देहरादून एलआईसी में ब्रांच मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. ऑफिसर किशन सिंह की दोनों बहनों की शादी हो चुकी है. जिनमें से एक देहरादून के डाक विभाग में कार्यरत हैं तो दूसरी बहन झुमके वाले शहर बरेली में गृहस्थ जीवन में.

बात जब सफलता की हो तो इसके पीछे जीवन साथी का भी अहम किरदार होता है. ऑफिसर किशन सिंह की पत्नी राधिका दुगतल ने घर गृहस्थी संभालकर दो बोटों स्तंदर और अमन को न सिर्फ पाला बल्कि अच्छी शिक्षा देने का काम किया. और ऑफिसर किशन सिंह को उनकी ड्यूटी में कोई खलल नहीं पड़ने दी. यही वजह है कि उत्तराखंड का ये लाल लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ रहा है. ऐसे जांवाज़ सपूतों को सलाम.
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