उत्तराखंड-देहरादून- पुरकल मसूरी रोप-वे के तहत शिफन कोर्ट के निवासियों ने काम करने आये लोगों को गेट लगाने से रोक दिया और उसी स्थान पर धरने पर बैठ गए. जिसको लेकर पुलिस और विस्थापितों के बीच तीखी नोकझोंक हुई.

विस्थापितों की मांग है, कि जब तक उन्हें छत मुहैय्या नहीं कराई जाती, तब तक वो रोप-वे से संबंधित किसी भी काम को नहीं होने देंगे. इन लोगों का कहना है, कि वे रोप-वे के निर्माण का विरोध नहीं करते हैं. उनकी मांग है, कि पहले उन्हें विस्थापित किया जाए. फिर निर्माण शुरू किया जाए. धरने पर भारी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल थे.

गुस्साए लोगों ने क्षेत्रीय विधायक गणेश जोशी और नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. पुलिस को स्थिति नियंत्रण करने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी. यहां तक की कई बार लाठीचार्ज करने की भी नौबत आ गई थी.
विथापितों का कहना है, कि वो पिछले 5 महीने से हवा घर पर रहने के लिए मजबूर हैं. शासन-प्रशासन भी न पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. कड़कड़ाती ठंड में वे अपने बीवी-बच्चों के साथ खुली छतों के नीचे रह रहें हैं. इसी बीच कुछ लोगों ने कोतवाल मसूरी के माध्यम से उप-जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित किया. जिसमें उन्होंने उप जिलाधिकारी को स्वयं मौके पर आकर बात करने मांग की. इसके अलावा जब तक सरकार उन्हें छत मुहैया नहीं करवाती तब तक वो उसी तरह धरने पर बैठे रहेंगे.

बहरहाल मसूरी कोतवाल देवेंद्र असवाल ने विस्थापितों से ज्ञापन लेकर उसे उप जिलाधि्कारी कौ सौंप दिया. तो वहीं विस्थापितों को इस बार फिर से जल्द ही समाधान निकालने की बात भरोसे वाला लालीपाप थमाकर उन्हें फिर से ठंड में ठिठुरने को छोड़ दिया गया है.
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