उत्तराखंड , चमोली आपदा, महिलाएं चाहें साड़ी में हो या फिर वर्दी में, हिंदु धर्म में उन्हें देवियों का ही दर्जा मिला है. 7 फरवरी के बाद से रैणी गांव में आपदा राहत और बचाव के लिए जिस तरह से देश और राज्य के तामाम बड़े अधिकारी जुटे हुए हैं. वो सभी बधाई के पात्र हैं. लेकिन इन सब अधिकारियों के बीच में हैं 4 दिलेर देवियां यानि महिला अधिकारी. जो आपदा राहत बचाव कार्म में बेहद अहम भूमिका निभा रही है. न दिन देख रही हैं न रात. बस लगी हैं अपनी टीम के मनोबल को बढ़ाते हुए अपने टास्क और जिम्मेदारियों को पूरा करने में. चार महिला अघिकारियों की इस चौकड़ी में शामिल हैं चमोली ज़िले की महिला कलेक्टर, राज्य की ही दो महिला डीआईजी. और आईटीबीपी की महिला डीआईजी.

7 फरवरी के उस रोज़ चमोली में आई आपदा की खबर का सबसे पहले सामना हुआ ज़िले की होनहार महिला कलेक्टर स्वाति एस भदौरिया का. स्वाति पहले से ही अपने कार्य के प्रति बेहद लगनशील और निष्ठावान मानी जाती रहीं हैं. स्वाति ने आपदा का पता लगते हीआनन-फानन में तत्काल ही हर वो महत्वपूर्ण कदम उठाए, जो एक समझदार ज़िलाधिकारी को उठाने चाहिए.

आपदा की खबर ज़िले के हेडक्वाटर से राज्य के मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी थी. मामला बड़ा था, इसलिए पुलिस महकमा भी हरकत में आ चुका था. स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सीएम एक टीम के साथ आपदा स्थल की ओर रवाना होते हैं. इस टीम में शामिल थीं. गढ़वाल रेंज की डीआईजी और तेज़ तर्रार महिला आईपीएस ऑफिसर नीरू गर्ग. तब से डीआईजी नीरू गर्ग लगातार चमोली में ही कैंप लगाए हैं और स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं.

जबकि राज्य की दूसरी वरिष्ठ महिला आईपीएस ऑफिसर यानि डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल राजधानी में ही कंट्रोल रूम से आपदा की हर स्थिति पर पैनी नजर बनाकर अपनी टीम को निर्देशित कर रही हैं. क्योंकि डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल के पास बेहद महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है . ज़िम्मेदारी आपदा कंट्रोल रूम की. तो वहीं एसडीआरएफ टीम को भी संभालने की. उन्हीं के ही दिशा-निर्देशों में राज्य की एसडीआरएफ अपने काम को बखूबी अंजाम दे रही है.

अब बात आती है एक और जांबाज़ महिला अधिकारी अपर्णा कुमार की. अपर्णा कुमार आईटीबीपी की डीआईजी हैं. इन्हीं की अगुवाई में सर्च अभियान की शुरूवात हुई. जो रेस्क्यू अभियान बिना थके, बिना रुके लगातार जारी है. आईटीबीपी के जवानों की जांबाजी की तस्वीरें लगातार आपदा इलाके से सामने आ रही हैं.

अंत में बात, एक बार फिर चमोली ज़िले की महिला कलेक्टर स्वाति एस भदौरिया की जो न सिर्फ हर क्षेत्र का दौरा कर रही हैं, बल्कि अपनी टीम के साथ हर उस इंसान की मदद कर रही हैं जो आपदा से ज़रा भी आहत हुआ है. ये हम नहीं कह रहे हैं, ये कह रहे हैं इलाके के लोग. उनके पैदल ही आपदाग्रस्त क्षेत्र के तूफानी दौरे की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं. जो भागते दौड़ते हांफती हुई मुद्रा में टीवी पत्रकारों के सवालों का जबाव भी बेहद विनम्रता से देती देश के राष्ट्रीय चैनलों पर नज़र आ रही हैं.
जांबाज़ महिला अधिकारियों की इस चौकड़ी को देश का सलाम. अपने परिवारों और खासतौर पर अपने बच्चों की परवाह किये बगेर ये दूसरों के बच्चों को बचाने इस कदर निकलीं हैं, कि यकीन मानिए इन्हें खुद की भी सुध नहीं. बस जज़्बा है तो अधिक से अधिक लोगों को जिंदा बचाने का, जमीं के नीचे से उन्हें तलाश कर उनके अपनों तक पहुंचाने का.और जो इस जलजले में अपना सबकुछ खो चुके हैं, जिनके सर के नीचे न छत बची है न ठौर-ठिकाना, उनके लिए अन्न के दाने से लेकर दवा तक का पुख्ता इंतज़ाम करवाना. ये किसी आम इंसान के बस की बात नहीं बल्कि ये सारे काम किसी देवी के ही हो सकते हैं.
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