इस शनिवार को अयोध्या में स्थापित बाबरी मस्जिद की जगह बन रही मस्जिद का खाका सामने रखा जाएगा। इसके अलावा 2021 के गणतंत्र दिवस पर यहां वितरित पांच एकड़ ज़मीन पर इसकी नींव रखी जाएगी। यह जानकारी मस्जिद निर्माण के लिए बनाए गए एक ट्रस्ट के सदस्य ने दी।
अतहर हुसैन, इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के सचिव, ने बताया कि 26 जनवरी 2021 को ट्रस्ट ने अयोध्या में बनने वाले मस्जिद की आधारशिला रखने का निर्णय लिया है। ये निर्णय लेने के पीछे कारण है, कि इसी दिन सात दशक पहले हमारा संविधान अस्तित्व में आया था।

आईआईसीएफ का निर्माण सुन्नी वक्फ बोर्ड ने छह महीने पहले मस्जिद के लिए किया था। इसको अंतिम रूप देने की भूमिका परियोजना के मुख्य वास्तुकार प्रोफेसर एसएम अख्तर ने निभाई है। 19 दिसंबर 2020 को आईआईसीएफ ने मस्जिद का खाका सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है। इस परिसर में एक पुस्तकालय, एक मल्टी स्पेशलटी अस्पताल और एक सामुदायिक रसोई होने का दावा किया जा रहा है। मस्जिद में एक समय में 2,000 के लगभग लोग एक साथ नमाज़ पढ़ सकतें हैं। ऐसा एसएम अख्तर का दावा है। मस्जिद का ढांचा गोल बनाया जा रहा है। पिछले साल 9 नवंबर को अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर राम मंदिर बनने की घोषणा की गई थी। मस्जिद के निर्माण को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

अयोध्या की सोहावाल तहसील के धन्नीपुर नामक गांव को राज्य सरकार ने पांच एकड़ जमीन सौंपी थी। अख्तर का कहना है, कि नई मस्जिद को बाबरी मस्जिद से बड़ा और उसका ढांचा भी अलग तरह से बनाया जाएगा। परिसर के मध्य भाग में एक अस्पताल बनाया जाएगा। 1400 साल पहले पैगंबर ने जो सीख दी थी उस भावना को लेकर मानवता की सेवा की जाएगी।
अख्तर का कहना है, कि अस्पताल केवल एक ढांचा ही नहीं, होगा बल्कि मस्जिद के वास्तुशास्त्र के हिसाब से तैयार किया जाएगा। इस अस्पताल में 300 बेड रखे जाएंगें। बीमार लोगों का मुफ़्त में इलाज किया जाएगा। उनका कहना है, कि मस्जिद में सौर ऊर्जा के निर्माण की व्यवस्था भी की जाएगी।

आईआईसीएफ के सचिव ने कहा, कि उनको अस्पताल बनाने के लिए कॉरपोरेट घरानों से भी मदद की उम्मीद है। मंजूरी मिलने पर कई लोग दान करना चाहेगें। उनके मुताबिक वे विदेशी अंशदान विनियम कानून (एफसीआरए) के तहत आवेदन करेंगे और भारतीय मुस्लिमों से विदेशों में धनराशि देने का अनुरोध करेंगें।
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