उत्तराखंड– उत्तराखंड की खूबसूरती देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती रही है. हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक उत्तराखंड के धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर घूमने आते हैं. लेकिन 2013 में आई आपदा के बाद उत्तराखंड में पर्यटन काफी कम हो गया था. बीते कुछ सालों में उत्तराखंड पर्यटन ने फिर रफ्तार पकड़ी . लेकिन 2019 में कोरोना के चलते पर्यटन क्षेत्र का हाल फिर से बदहाल हो गया.

लेकिन अब जब व्यवस्थाएं धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है तो सरकार भी पर्यटन को गति देने का पूरा प्रयास कर रही है. पर्यटन प्रदेश की आर्थिक कमाई का एक मुख्य जरिया है. जिसके ले सरकार कई योजनाएं बना रही है.
चारधाम यात्रा को और अधिक सुव्यवस्थित और सुचारु रुप से संचालित करने के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक लागू किया है. केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण के लिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सीएसआर और दूसरे मदों से लगभग 300 करोड़ का काम पहले चरण में पूरा करवाया गया है. दूसरे चरण में 107 करोड़ रुपये का कार्य गतिमान है. इसके लिए केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की गई है.

बद्रीनाथ धाम के सुनियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जार है. 13 जिलों में शंकर मंदिर, नागदेवता मंदिर, विष्णु मंदिर, नवग्रह मंदिर, गोलज्यू देवता को प्राचीन मंदिर को पर्यटन सर्किट के रुप में विकसित किए जाने के लिए आवश्यक कार्ययोजना तैयार की गई है. इसके अलावा रोप वे पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. देहरादून से मसूरी तक का रोप वे पीपीपी मोड पर बनाने के लिए निवेशक का भी चयन कर लिया गया है.

देहरादून से मसूरी के बीच 300 करोड़ की लागत से बनने वाला ये विश्व के सबसे लंबे पांच रोप वे में से एक होगा. इसके अलावा अभी कद्दूखाल-सुरकंडा देवी और ठुलीगाड़-पूर्णागिरी देवी रोप वे परियोजनाओं का निर्माण कार्य पीपीपी मोड पर गतिमान है. साथ ही केदारनाथ, नैनीताल, भैरवगढ़ी, कालेश्वर मंदिर और दूसरी जगहों पर रोपवे विकसित किए जाने के संबंध में अलग-अलग चरणों में काम चल रहा है.
More Stories
कुंभ के कामों की डेडलाइन 31 जनवरी, काम पूरा करने के निर्देश !
24 जनवरी को बदल रहे हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, जानिए क्यों ?
आउटसोर्स कर्मचारियों को उत्पीड़न के साथ मिल रहा है तय से कम वेतन !