उत्तराखंड अपने आप में एक संवेदनशील जगह मानी जाती है। यहां जितनी संख्या में प्राकृतिक आपदाएं दस्तक देती हैं, उतनी ही संख्या में यहां जंगली जानवरों के हमले का डर भी लोगों को सताता रहता है। खासतौर पर दुर्गम पहाड़ी इलाकों में अक्सर गुल्दार, बाघ और अजगर के ग्रामीण इलाकों में घुस आने की खबरें आती हैं। ऐसे हादसों में कई बार लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं।

लेकिन अब ऐसे खतरनाक इलाकों में रह रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। जिसके तहत मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए एक प्रशिक्षण केन्द्र बनाने की घोषणा की है। जिसका नाम मानव वन्य जीव संघर्ष केन्द्र होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया, कि प्रदेश में जंगली जानवरों के हमलों की बढ़ती खबरों को देखते हुए, इसका निर्णय लिया गया है। प्रदेश को मानव वन्यजीव संघर्ष केन्द्र की खास जरुरत है।
सीएम आवास में आयोजित होने वाली सीड्स एंड हनीवेल सेफ स्कूल योजना में मुख्यमंत्री ने कहा, कि उत्तराखंड मानव वन्यजीव प्रशिक्षण केन्द्र और आपदा प्रबंधन मंत्रालय का अलग से गठन करने वाला यह पहला राज्य है।

सीएम की जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड राज्य आपदा की दृष्टि से बहुत ही संवेदनशील है। जिसके चलते स्कूलों में छात्र और शिक्षकों को प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ वन्य जीवों से भी बचाव की जानकारी दिया जाना बहुत ही जरुरी है। जो स्कूलों में शिक्षा के अनुकूल माहौल से छात्रों में पॉजीटिव एनर्जी और मानसिक विकास बढ़ाएगा।कोरोना वायरस का ज़िक्र करते हुए सीएम ने कहा, कि हम सतर्कता बरतने के कारण ही इस महामारी का सामना करने में सफल रहे। दुनिया के कई सुविधाओं से सम्पन्न देशों के मुकाबले भारत काफी आगे रहा। कार्यक्रम में लाए गए प्रस्ताव के तहत 15 स्कूलों के बदलाव के बाद इन्हें शिक्षा विभाग को सौंपने की बात कही गई है। इस बैठक में डा मनु गुप्ता, वीरेंद्र मिश्रा, मुकुल सती, डीआईजी एसडीआरएफ रिध्दिम अग्रवाल आदि शामिल रहे
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