उत्तराखंड, चमोली आपदा के बाद से ही जनपद से लगे सीमावर्ती इलाकों में 7 फरवरी को आये जलजले में बह गये पुल और सड़कों के निर्माण का काम ज़ोरों पर है. इस सबमें सबसे अहम भूमिका निभा रहा है बीआरओ यानि बॉर्डर रोड़ ऑर्गनाइजेशन. बीआरओ के कर्मचारी रात दिन एक कर पुलों और सड़कों के निर्माण में जुटे हैं. फिलहाल बीआरो के पास सबसे अहम टॉस्क है माणा पास तक बॉर्ड रोड खलने का. जहां जगह जगह ग्लेशियर पसरे पड़े हैं.

बॉर्डर रोड खोलने की कवायत में लगी बीआरओ ने जानकारी देते हुए बताया है. कि माणा से माणा पास तक की दूरी करीब 60 किलोमीटर है. इस 60 किलोमीटर लंलंबी बॉर्डर रोड पर जगह जगह बड़े बड़े ग्लेसियर पसरे हुए हैं. लेकिन इस साल कम बारिश के चलते बर्फबारी के कम होने से इनकी तादात अन्य वर्षों के मुकाबले कम है.

बीआरओ इस वर्ष समय से पहले ही माणा पास तक बॉर्डर रोड को खोलने में जुटा हुआ है. बद्रीनाथ से 15 किलो मीटर आगे बलवान नाले से माणा पास तक बड़े-बड़े ग्लेशियर और 2 से 4 फीट की बर्फ बॉर्डर रोड पर जमी हुई है. जहां बीआरओ ने कई मशीन और कई मेन पावर लगाकर बॉर्डर रोड को खोलने का काम शुरू कर दिया है.

तस्वीरों वयां कर रही हैं कि बॉर्डर रोड पूरी तरह से बर्फ की आगोश में है. जहां बीआरओ द्वारा बर्फ को हटाकर सड़क मार्ग को साफ किया जा रहा है. ताकि जल्द से जल्द बॉर्डर रोड को पूरा माणा पास तक खोल दिया जाए.चूंकि ये रोड सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है.
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