नेशनल डेस्क- नई दिल्ली- कोरोना महामारी और इसके लिए हुए लॉकडाउन के चलते जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया था. अब सामान्य स्थिति को देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को शुरू करने का निर्णय लिया गया है. सर्वोच्च न्यायालय ने आंगनवाड़ी सेवाओं को फिर से खोलने को लेकर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आंगनवाड़ी केंद्रों को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों से चर्चा कि थी. साथ ही कोर्ट ने आंगनवाड़ी कर्मचारियों से बच्चों और महिलाओं को पोषक आहार उपलब्ध कराने को कहा था. आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से शून्य से छह साल के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को सूखा राशन दिया जाता है.

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कोरोना के चलते 14 लाख आंगनवाड़ियों के बंद होने का मुद्दा उठाया था. याचिका में कहा गया था कि बच्चों और माताओं को पौष्टिक खाना नही मिलने में परेशानी हो रही है. इसके चलते कोर्ट ने 31 जनवरी तक आंगनवाड़ी सेवाओं को खोलने का निर्णय लेने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने कंटेनमेंट जोन को इससे बाहर रखा है.
इसके लिए सभी को कोविड-19 से बचाव के लिए जारी प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य होगा. यह निर्देश दिया गया है, बार-बार हाथों को साबुन से धोना, सेनेटाइचर का प्रयोग करना एवं सामाजिक दूरी का पालन करना होगा.

65 साल से ऊपर के व्यक्ति के प्रवेश पर रोक-
सामाज कल्याण विभाग के जारी निर्देश में कहा गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर 65 साल से ऊपर के व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक रहेगी. गर्भवती महिलाओं और 10 साल से कम बच्चों को आवश्यक और स्वास्थय संबंधी नियमों का पालन करते हुए सूखा राशन घर या आंगनबड़ी केंद्रों पर किया जाएगा.
सेंटरों पर उपलब्ध कराई जानेवालीं सेवाएं-
-6 साल से कम आयु के बच्चों को अनुपूरक पोषण
-समस्त गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व देखभाल और टीकाकरण
-15 से 45 साल के आयु वर्ग की सभी महिलाओं के लिए पोषण और स्वास्थय शिक्षा
-कुपोषण और बीमारी के गंभीर मामलों को अस्पताल
-नए जन्में शिशुओं और 6 साल से कम आयु के बच्चों की देखभाल
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